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बंगाल में 2010 के बाद जारी किए गए ओबीसी प्रमाणपत्रों को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने रद्द किया, जानें क्या होगा अब?

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बंगाल में 2010 के बाद जारी की गई सभी ओबीसी प्रमाणपत्रों को रद्द कर दिया है। यह फैसला कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक तीन-सदस्यीय बेंच द्वारा आज दिनांक 25/05/2024 को सुनाया गया। इस बड़े फैसले से प्रभावित होंगे बंगाल के ओबीसी वर्ग के लोग।

यह फैसला उठाने का मुद्दा लंबे समय से चल रहा था। इसमें कहीं न कहीं सरकारी नौकरियों, शिक्षा, और अन्य योजनाओं में ओबीसी आरक्षण के लिए जारी किए जाने वाले प्रमाणपत्रों की मान्यता पर सवाल उठ रहे थे। इस प्रकार, इस फैसले ने ओबीसी आरक्षण के मामले में महत्वपूर्ण संदेश दिया है।

बंगाल में 2010 के बाद जारी किए गए ओबीसी प्रमाणपत्रों को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने रद्द किया, जानें क्या होगा अब?
बंगाल में 2010 के बाद जारी किए गए ओबीसी प्रमाणपत्रों को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने रद्द किया, जानें क्या होगा अब? (Image Via Mint)

इस निर्णय के पीछे का कारण यह है कि बंगाल सरकार ने 2010 के बाद ओबीसी प्रमाणपत्रों की जारी करने के लिए नियम तो बनाए, लेकिन सम्बंधित आदेश जारी करने में कई गड़बड़ियां की थी। इसलिए, इस फैसले के बाद से पिछले चार दशक में जारी किए गए सभी प्रमाणपत्र अमान्य घोषित किए गए हैं।

यह फैसला ओबीसी वर्ग के लोगों के लिए एक बड़ी झटका है। इन प्रमाणपत्रों के आधार पर कई लोग रोजगार, शिक्षा, और अन्य सरकारी योजनाओं में आरक्षण का लाभ उठा रहे थे। लेकिन इस फैसले के बाद से उन्हें इस आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।

इसके साथ ही, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया है कि वे इस फैसले के माध्यम से जारी किए गए प्रमाणपत्रों की सत्यता की जांच करें और उनके आधार पर लिए गए निर्णयों को रद्द करें।

इस फैसले की वजह से बंगाल में ओबीसी वर्ग के लोगों में उथल-पुथल मच गई है। उन्हें नये प्रमाणपत्र बनवाने के लिए फिर से आवेदन करना होगा। इससे उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ेगी।

इस फैसले के बाद से ओबीसी वर्ग के लोगों की आशाएं काफी कम हो गई हैं। उन्हें सरकारी योजनाओं में आरक्षण का लाभ प्राप्त करने की संभावना काफी कम हो जाएगी। इससे उनकी आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ सकता है।

इस अपडेटेड खबर के अनुसार, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने ओबीसी प्रमाणपत्रों को रद्द करने का फैसला आज अपने सीमित समय में सुनाया है। यह फैसला बंगाल के ओबीसी वर्ग के लोगों के लिए एक बड़ा झटका है और इससे संबंधित विवादों का एक नया दौर शुरू हो सकता है।

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